Swagatam Shri Ram Katha
प्रथम सुन्दरकाण्ड पाठ एवं पूज्य भाईश्री द्वारा ईसा के नए वर्ष का संदेश – दि.०१/०१/२०२१, शुक्रवार
श्रीहरि मंदिरके १५वे पाटोत्सव अंतर्गत आयोजित तीनों ताप को हरनेवाली शशीकिरन समाना श्री रामकथा में श्री हनुमानजी महाराज का आवाहन करने की भावना से श्री रामकथा के पूर्व छह सुन्दरकाण्ड पाठ का आयोजन हुआ है । सान्दीपनि के ऋषियों द्वारा होनेवाले प्रत्येक सुन्दरकाण्ड पाठ के अंत में पूज्य भाईश्री आशीर्वचन प्रदान करेंगे ।
सुन्दरकाण्ड पाठ की श्रेणी में दि.०१/०१/२०२१, शुक्रवार को श्रीहरिगुरु सन्निधि में सांदीपनि के ऋषि श्री यज्ञेशभाई ओझा एवं वृंद द्वारा प्रथम सुन्दरकाण्ड का पाठ हुआ । इस सुन्दरकाण्ड पाठ के आयोजक संस्कृति परिवार बड़ौदा और मुम्बई रहे और देश-विदेश से अनेक भाविकजन वर्च्युअली जुड़ें और पाठ का आनंद लिया । सुन्दरकाण्ड पाठ के समापन के बाद श्रीहरि एवं पवनसुत रामदूत-हनुमानजी को नमस्कार और प्रणाम निवेदित करते हुए पूज्य भाईश्रीने ईसा के नए साल का संदेश देते हुए प्रवचन की शुरुआत करी ।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऐं देते हुए २०२१ की शुरुआत श्रीहनुमानचालीसा से हुई । कोरोना के कारण २०२० में बहत कुछ सिखना मिला । इसके चलते कई लोगों की जान गई और उनके स्वजनों को उतना ही कष्ट हुआ । जो लोग स्वधाम पहुँचे हैं उनकी पूर्ति नहीं हो सकती किन्तु इस कष्ट में अनेक द्वार खुले हैं ।
मानवसमुदाय को इस चुनौती के चलते अपनी क्षमता और सृजनात्मकता का रास्ता मिला । अनेकों ने जितनी हुई उतनी सहायता करी; अन्नदान, चिकित्सा आदि जगहों पर अपना योगदान दिया ।
रामचरितमानस के अनुसार “परहित सरिस धरम नहि भाई” । मानव-समुदाय ने परहित धर्म निभाया है । २०२१ की यही प्रार्थना है कि सम्पूर्ण विश्व इस महामारी से मुक्त हो और पुनः कर्मयोग में लगें । हम कर्मयोग वाला यज्ञ करके प्रसाद स्वीकारें । पूरा विश्व निरामय हो, सभी प्रसन्न हो निरंतर उन्नति की तरफ अग्रसर हो ऐसी प्रार्थना ।
इस वर्ष श्रीहरि मंदिर का १५वाँ पाटोत्सव महत्त्वपूर्ण है । वैसे तो इस वर्ष प्रत्येक उत्सव विशिष्टरूप से मनाया है । प्रशासन के नियमों को ध्यानमें रखते हुए उत्सव मनाया जाएगा । वर्तमान परिस्थिति को ध्यानमें रखते आशा रखते है कि पाटोत्सव तक कुछ सुधार आए ।
सर्वकार के नियमों को ध्यानमें रखके २०० लोगों के साथ या फिर उस समय के नियमों को देख कर निर्णय लिया जाएगा । नौ दिन श्रीरामकथा का गायन होने वाला है । हम कुछ भी कर ले पर कथा का समय कम ही पड़ता है । क्योंकि “हरि अनंत हरिकथा अनंता” ; श्रीहरि और उनकी कथाएँ अनंत हैं । कथा के पीछे के भाव-मर्म समजने में समय लगता है ।
जैसा कि मैंने कहा है, प्रत्येक मास में एक सत्संग होगा । जान्युआरी में भी एक सत्संग कथा के रूप में होनेवाला है । वह कथा विशिष्ट स्थान पर होगी । आप सबको ज्ञात किया जाएगा ।
हमारे ऋषिकुमारके यहाँ भी कुमार/कुमारी है । जब ये सब ऋषिकुमार अध्ययन कालमें थे तब वे “ऋषिकुमार” थे अब वे सब “ऋषि” है । ऋषि यज्ञेशभाई ने आजका सुन्दरकाण्ड का पाठ संपन्न किया । अब पाटोत्सव तक प्रत्येक शनिवार को सुन्दरकाण्ड का पाठ होगा । हर शनिवार को नए-नए ऋषिकुमार पाठ करेंगे । अनुनय-विनय पूर्वक हमारा ये रामकथा वाला उत्सव संपन्न हो ।
उधर सापुतारामें आदिवासी बच्चों की शिक्षा हेतु भी हम सेवामें जुड़ेंगे । सांदीपनि का यू.के.परिवार (वैश्विक संस्कृति परिवार,यु.के) इस वर्ष पाटोत्सवमें होनेवाली श्रीरामकथा की सेवामें लगेंगे । उन्होंने यह सेवा स्वीकारी है । संगठन में व्यवस्था के अनुरूप सब अपनी-अपनी जिम्मेदारियाँ ले रहे है । वे सब घर पर बैठे ही जुड़ेंगे और नियमों के देखते सब सेवामें लगेंगे । यह वायरस जितना प्रभावी है उतना ही जल्दी यह विदा होगा ।
भारत और अन्यान्य देशों से कई साधकों की सांदीपनि में आके श्रीहरि के दर्शन के लिए अत्यंत उत्सुक भी हैं । आप सभी का पाटोत्सवमें स्वागत हैं । हमारे सोश्यलमीडिया के माध्यम से सबको अपडेट मिलते रहते है । यहाँ पर मनाएँ जा रहे सभी उत्सव और कार्यक्रम के दर्शन घर बैठे ही हमें मिल रहे है ।
हमारा तत्त्वदर्शन का प्रिन्टींग काम भी अबसे शुरू हो गया है, कोरोना के कारण हम ई-तत्त्वदर्शन पब्लिश करते थे । अब हमने पहेले से भी अच्छी क्वालिटी में यह काम शुरू करवाया है । गुजराती और हिन्दी दोनों भाषामें उपलब्ध होगा । अब सभी के घर-घर यह मासिक पत्रिका पहुँचेगी ।
द्वितीय सुन्दरकाण्ड पाठ एवं पूज्य भाईश्री द्वारा संदेश – दि.०९/०१/२०२१, शनिवार
ईसा के नए वर्ष का दूसरा सुन्दरकाण्ड पाठ आज निवेदित हुआ । प्रथम पाठ वर्षके प्रथम दिन हुआ, नववर्ष के उपक्रम में पाठ संपन्न हुआ था । देश-विदेश के कई भक्त पूर्ण भक्ति से सम्मिलित भी हुए । आज एकादशी और शनिवार साथ है और द्वितीय पाठ का गायन हुआ । ऋषि विपुलकृष्ण वेगडाजी ने पाठ का गायन किया । इस द्वितीय सुंदरकांड पाठ के आयोजक संस्कृति फाउंडेशन यु.एस.ए, व्रज-भागीरथी ट्रस्ट (VBCT) यु.एस.ए और संस्कृति फाउंडेशन केनेडा रहे और वे सभी वर्च्युअली जुड़े भी रहे ।
हम कथा में चर्चा करते है, पंचयज्ञ की । उसमें से एक है ब्रह्मयज्ञ । वेद, शास्त्र, ऋषिओं की वाणी का नित्य स्मरण हो वह जरुरी है । उन हितवचन का पारायण होता रहे, जिससे अमृत वचन विस्मृत ना हो । अतः पाठ का महत्त्व दर्शाया गया है । कोई भी भगवत् तत्त्व के अंश को लेकर, उनको माध्यम बनाकर पाठ/स्तुति होते हैं ।
ऋषिमर्यादा से जीवन-यापन करनेवाला ब्राह्मण, वेद-पाठशाला में ऋषिकुमार द्वारा संहिता पाठ हो वह ब्रह्मयज्ञ है । सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी का महत्त्व है, वह भी भक्त है ।
आनेवाले हरि मंदिर के पाटोत्सव से पहले प्रत्येक शनिवार को सम्पूर्ण विश्व के भक्त साथ मिलकर सुन्दरकाण्ड का पाठ करेंगे ।
फरवरी, २००६ में जब मंदिर महोत्सव हुआ उसके १ वर्ष पूर्व उसकी तैयारीयाँ शुरू हो गई थी । यह पाटोत्सव भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण पड़ाव है । उसकी भी तैयारी शुरू हो चुकी है । परिस्थिति और सरकार के निर्देश अनुरसार सब इकट्ठे होंगे । सभी मर्यादाओं को ध्यानमें लेते हुए उत्सव मनाएँगे ।
पाटोत्सवमें होने जा रही श्रीराम कथाकी अभी से एक आध्यात्मिक पीठिका तैयार हो रही है । श्रीहनुमानजी आयोजनके “!१.प्राण २.रक्षक ३.प्रधान श्रोता” है । अतः सर्वप्रथम उनका आवाहन करते है ।
“आइए हनुमन्त बि राजिए कथा कहु मति अनुसार”
U.S.A. के तीनों ट्रस्ट को साधुवाद । निष्ठा से श्रीराम सेवा में समर्पित ही नहीं सेवा करते करते रिजाने से सद्गुरु कृपा बनी रहे ।
प्रत्येक मास में सत्संग करने की चर्चा हुई थी । गत मासमें धोलकिया परिवार ने गीता ज्ञानयज्ञ की सेवा करी । इस मास का सत्संग अभी बाकी है । January में श्रीहरि कृपासे विशिष्ट मनोरथ-सेवा होने जा रही है । सप्तदिवसीय भागवत कथा । उसमें विशिष्ट क्या है ? मेरी जन्मभूमि देवका (अमरेली के पास) में तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री श्रीमोदीजी द्वारा देवका विद्यापीठ का उद्घाटन हुआ था ।
अभी सांदीपनि और देवका में भी परीक्षाएँ संपन्न हो रही है । तक़रीबन ९० जितने ऋषिकुमार अभी सांदीपनिमें उपस्थित है । बहुत भरा भरा लगता है ।
जहाँ मैं खेला, जहाँ बड़ा हुआ । मेरी उम्र १३-१४ साल की रही होगी । तब खेल-खेलमें गीताज्ञान यज्ञ हुआ था, तब तो हम सब छोटे बच्चे थे । वही कारण बना पाठशाला में अभ्यास करने का, बादमें जा केकथा सेवामें जुड़ गया । इस माहमें जन्मभूमि देवका से आप सभी को संबोधित करूँगा । पहली बार उस जगह से कथा होने जा रही है ।
Social Media के माध्यम से आप को भी उस भूमि और स्थान की झलक दिखेगी । २५ से ३१ january तक कथा होगी । वहाँ की यजमान-पद की सेवा वहाँ का आहिर समाज करनेवाला है ।
अधिक मास में zoom के द्वारा देश-विदेश के बहुत सारे लोग जुड़ें । तदनुरूप इस कथामें भी सब जुड़ेंगे । आप सबको देखकर सत्संग हो रहा है । यहाँ सब खाली होते हुए भी सब भरा हुआ लग रहा है । क्यूंकि आप सब भाव से भरे हुए हो । पूरे लगन और उत्साह से हम जुड़ेंगे ।
पाटोत्सव से पहले और चार शनिवार आ रहे है और चार पाठ संपन्न होंगे ।हम सब निर्भिक हो अपने कर्तव्य में लगे रहे ऐसी प्रार्थना । परिस्थिति के अनुरूप हम आनंद लेंगे ।
तृतीय सुन्दरकाण्ड पाठ में पूज्य भाईश्री द्वारा संदेश – दि.१६/०१/२०२१, शनिवार
सुन्दर वातावरण और सुचारू व्यवस्थामें पूर्ण श्रद्धा और भाव के साथ ईस्ट आफ्रिकन देश और विदेश के सभी यूरोप, अमरीका आदि से सभी भक्तों ने सांदीपनि से Zoom के माध्यम से वर्च्युअली जुड़कर सुंदरकाण्ड का पाठ किया । भगवान श्रीहरि के सान्निध्य में सहभाग किया और आनंद लिया ।
ऋषी दिलीपभाई भागवतकार भी है और परमात्मा की कृपा से सुन्दर कंठ भी प्राप्त हुआ है । संगीतकी अच्छी जानकारी भी रखते है और सांदीपनि में ही अभ्यास किया है ।
जैसा कि हमने संकल्प किया है कि पाटोत्सव के पहले प्रत्येक शनिवार को सुन्दरकाण्ड का पाठ होगा । उसके ही उपक्रम में अलग-अलग मनोरथी के द्वारा पाठ की सेवा होती है । ईस्ट आफ्रिका के सेवक एवं सांदीपनि के लिए समर्पित ऐसे संजयभाई सूचक तथा परिवार ने आजके मनोरथ की सेवा करी । वहाँ की अनेक संस्थाओं को जोड़ा अनेक साधनों को भी जोड़ा zoom, sandipani.tv जैसे भिन्न भिन्न माध्यमों से सब एकत्र हुए । ये सभी पाठ youtube पर भी वैसे के वैसे ही रहेगा । कोई भी कभी भी पाठ कर सकता है ।
सुन्दरकाण्ड में क्या सुन्दर नहीं है । मतलब सब सुन्दर है । श्रीहनुमानजी इस काण्डके नायक है । जैसा कि हनुमान चालीसा के मंगलाचरण में आता है “बल बुद्धि विद्या देहूँ मोहि हरहु कलेस बिकार” ; बल, बुद्धि, विद्या दो और विकार को छीन लो.
अब देखो क्या तात्पर्य है;
“नायमात्मा बलहीनेन लभ्यः” – बल
“यस्य बुद्धि बलं तस्य” – बुद्धि
“सा विद्या या विमुक्तये” – विद्या
श्रीहनुमानजी रूद्र के अवतार हैं । शैव के लिए शिव इष्टदेव है और आराध्य भी । वो देवों के देव महादेव हैं । अन्य लोगों के लिए त्रिभुवन गुरु होने से वे सबके आराध्य भी हैं । शिवजी हनुमानजी के रूपमें प्रगट हुए हैं ।
जैसा कि भागवत में आता है “वैष्णवानां यथा शम्भु:” । समस्त संसार में शिवजी के सदृश अन्य कोई परम वैष्णव नहीं है ।
रामभक्त, रामसेवक, रामभक्त ऐसे हनुमानजी निखरे हैं, कि हम जो बिखरे है उन सबको प्रभु श्रीराम के चरणोंमें लगा रहे हैं । श्रेष्ठ गुरु वह है जो अपने आचरण से समझाए । रावण के द्वारा अपहृत भक्ति स्वरूपा सीताजी की खोज करी और उनको छुड़ाया । भक्ति के मार्ग में विघ्न तो आएँगे, उसका सामना भी करना पड़ेगा । उसमें से पार कैसे होना है वो हनुमानजी बताते है । सुन्दरकाण्ड के पाठ से भवसागर में से मुक्ति मिलती है । बिना नौका के ही भवसिंधु से तर जाते हैं, ये है सुन्दरकाण्ड के पाठ का माहात्म्य ।
जिस तरह गीताजी में १५ वें अध्यायका, श्रीमद्भागवतमें दशम स्कंध का महत्त्व है ठीक उसी तरह रामचरितमानस में सुन्दरकाण्ड का विशेष महत्त्व है । है तो यह रामायण ही, रामायण श्रीराम का वाङ्गमय स्वरुप है । उसमें भी सुन्दरकाण्ड श्रीराम के ह्रदय में बिराजमान हनुमानजी की तरह है । हनुमानजी ने तो अपने वक्षःस्थल को चिर के बताया कि उनके ह्रदय में राम है ।
हनुमान के हृदय में रामजी निवास करते है किन्तु रामजी के ह्रदय में हनुमानजी का निवास है, ये सुन्दरकाण्ड में बताया है ।
सबने बड़े ही सुन्दरकाण्ड का पाठ किया । आप सब जिन-जिन मंदिरो में हो वहीं आपने सेवा करी और आनेवाली पीढ़ी को भी प्रेरित करे वो भी ठाकुरजी की सेवा करें । मंदिरों में जो मूर्ति है वो प्रत्यक्ष ठाकुरजी है, नहीं कि केवल पुतला । मैं प्रत्येक मंदिरों से प्रार्थना करता हूँ कि धार्मिक गतिविधियाँ, उत्सव मनाना, ये सब तो होता ही है । किस तरह उत्सव मनाएँ ? क्या सेवा-प्रकार है आदि सब का ध्यान रखना है । भगवान को अकेला महसूस ना होने दे । महत्त्व ये है कि आनेवाली पीढ़ी में हम ये सब संस्कारों का सिंचन करें ।
आफ्रिकन देशों में आप जो सनातन धर्म के रक्षण के लिए उद्यत हो वो आनंद की बात है । आपकी सांदीपनि से और ऋषिकुमारों से जो अपेक्षाएँ हैं, जरुर हम आपके साथ हैं । जैसी भी सहायता चाहिए वैसी मिलेगी क्योंकि आप मेरी चहिती प्रवृत्ति कर रहे हो ।
केनेडा में भी वहाँ के लोग बालकों को संस्कृत के श्लोक सिखाए जा रहे हैं, वहाँ के गोरे बालकों को भी वे सब संस्कृत के श्लोक आदि सिखा रहे है और वो सुन कर बहुत ही आनंद आता है । सनातन धर्म के मूल्यों को वे बच्चे सब जाने, समझे और अपने जीवन में उतारे तथा सम्पूर्ण विश्व को उसका दर्शन करावें । समस्त विश्व के कल्याण की कामना से सबको जोड़े ।
प्रत्येक मास के सत्संग के संकल्प के उपक्रम में जान्युआरी में भागवत कथा है, फरवरी में श्रीराम कथा का लाभ मिलेगा । आफ्रिकन देशों में सन् १९८४ से कथा सेवा शुरुआत हुई थी ।
चतुर्थ सुन्दरकाण्ड पाठ में पूज्य भाईश्री द्वारा संदेश – दि. २३/०१/२०२१, शनिवार
श्रीहरि मंदिर में १५ वें पाटोत्सव के उपलक्ष में निर्धारित नव-दिवसीय रामकथा और भगवान श्रीहरि की अर्चना-पूजा के विविध कार्यक्रमों के साथ-साथ हम उत्सव मनाने जा रहे हैं और उसकी पूर्वपीठिका तैयार हो रही है ।
पाटोत्सव के पहले पडनेवाले प्रत्येक शनिवार के दिन विभिन्न ऋषिकुमारके द्वारा सुन्दरकाण्ड का संगीतमय पाठ प्रस्तुत किया जाता है । विज्ञान और टैक्नोलोजी के माध्यम से कई लोग देश और विदेश से इसके साथ जुड़ते हैं । २३ जनवरी के इस पाठमें सान्दीपनि साउथ इंडिया परिवार निमित्त बना है और भाई ऋषि जितेन्द्र कुमार याज्ञिक के द्वारा संगीतमय सुन्दरकाण्ड प्रस्तुत किया जा रहा है ।
सन् २०१९ से लेकर के सान्दीपनि साउथ इंडिया परिवार की प्रवृत्ति का व्याप दक्षिण भरत में बढ़ रहा है । आप लोग सुन्दरकाण्ड का पाठ हो या संकीर्तन और सत्संग की बात हो, नियमित रूप से निमित्त रहते हैं और सत्संग करते है । सान्दीपनि साउथ इंडिया परिवार के तत्वावधान में दक्षिण भारतके कई शहरों में हमारे सभी devotees ने मिलकर के नियमित रूप से सत्संग केंद्र का प्रारंभ किया है ।
चेन्नई हो, बेंगलुरु हो, सेलम हो और इस प्रकार के अन्यान्य शहरों में इस प्रवृत्ति का व्याप बढ़ रहा है और उसके लिए सांदीपनि साउथ इंडिया परिवार- भाई जितेन्द्र याज्ञिक और उसके साथ-साथ राजेशभाई पूजारा, राहुलभाई गुजारा । चेन्नई से राजेशभाई देसाई और सत्यनारायण मंदिर-चेन्नई, सचिनभाई कोटेचा-कोयंबतूर, रणछोडभाई पटेल-सेलम, परेशभाई अधेरा, अनंतभाई पटेल, वीरूभाई पटेल, गोपालभाई जोशी यह सब बेंगलुरु के कार्यकर्ता हैं और वे सभी बहुत समर्पण भाव से लगे हुए हैं।
देखो जितना जीवन के लिए अन्नजल की आवश्यकता है, प्राणवायु की आवश्यकता है, धरती हमको धारण करनेवाली है उसका आश्रय भी जरूरी है; उतना ही हमारे मन की शुद्धि के लिए और हमारे मन की शक्ति के लिए सत्संग भी आवश्यक है ।
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते है “करई सदा सत्संग” । भोजन हम नित्य करते हैं तो भजन-सत्संग भी नित्य होना चाहिए । आप लोग नित्य भजन-सत्संग अपने-अपने घरों में प्राप्त कर रहे होंगे, टीवी चैनलों के माध्यम से भी आप को घर बैठे कथा सत्संग प्राप्त होता है । sandipani.tv भी आप जब चाहो पूर्व कथाओं का भी श्रवण लाभ प्राप्त कर सकते हैं और आप कर भी रहे हो और समय-समय पर live कथा और लाइव सत्संग जैसे सुन्दरकाण्ड का । इस वक्त आप लोग लाभ ले रहे है, लेकिन सत्संग का सातत्य बना रहे ये आवश्यकहै ।
आज सुन्दरकाण्ड के पाठ में सांदीपनि साउथ इंडिया परिवार और उसके साथ-साथ भारत के विभिन्न शहरों और विदेश के हमारे सभी जो सोश्यल मिडिया के माध्यम से जुडे हुए हैं वे सभी इस सातत्य का महत्त्व समजे । इस प्रकार संगीतमय सुन्दरकाण्ड हो, संकीर्तन हो, भगवद्गीता का पाठ हो । भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत, रामचरितमानस इत्यादि ग्रन्थों के ऊपर स्वाध्याय हो तो निश्चितरूप से एक सूचि बनती है और साथ में सब जुड़ते हैं । रामचरितमानस में सुन्दरकाण्ड का विशेष महत्त्व है –
सुन्दरे सुन्दरो रामः सुन्दरे सुन्दरी कथा ।
सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे सुन्दरं वनम् ।।
सुन्दरे सुन्दरंकाव्यं सुन्दरेसुन्दरः कपिः ।
सुन्दरे सुन्दरो मन्त्रः सुन्दरे किं न सुन्दरम् ।।
जिस सुन्दरकाण्ड के विषयमें ऐसा कहा गया है कि सुन्दरकाण्ड में भगवान राम है, सुन्दरकाण्ड में श्री सीता जगदम्बा है, भगवान का वन में विचरण हो रहा है और उसकी दिव्य कथा सुन्दर-कपिश्री हनुमानजी महाराज- उनके द्वारा सीताजी की खोज हो रही हैं । उसकी कथा जिस काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है वो काव्य और हनुमानजी के चरित्र द्वारा प्राप्त होने वाला प्रत्येक मन्त्र ये सबकुछ सुन्दर हैं । सुन्दरकाण्ड में इसलिए कहा गया है –सुन्दरे किं न सुन्दरम् । सुन्दरकाण्ड में क्या सुन्दर नहीं है ?
अपने जीवन को सुन्दर बनाने के लिए वो कुरूप न हो और किसी कारण से सुन्दर था लेकिन किसी कारण से विरूप हो गया तो उसकी विरूपता ही समाप्त हो जाए और जीवन सुन्दर बने और सुगन्धित बने । आचरण की सुन्दरता और प्रेम-भक्ति की सुगन्ध जैसे पुष्प सुन्दर भी होता है और आकर्षित भी होता है; लेकिन फिर उसमें एक सुगंध होनी चाहिए ।
रामचरितमानस की कथा सुन्दरकाण्ड का पाठ हो तो उसके द्वारा हनुमानजी आदि दिव्य पात्रों के द्वारा प्रेरित होकर हम अपने आचरण को सुन्दर बनाये और श्रीराम के प्रति अनुराग तथा भगवान में प्रेम-भक्ति ये ही सुगन्धहै और ऐसा सुगन्धपूर्ण सुन्दर जीवन हो । सुन्दरी सीता और सुन्दर रामको हम सुन्दर ढंग से समर्पित करे । जो सुन्दर में सुन्दर ऐसे कपि श्री हनुमानजी की कृपा निरन्तर हम पर बनी रहें । आप सबलोग नियमपूर्वक सुन्दरकाण्ड का पाठ कर रहे हैं । मैं अपनी प्रसन्नता प्रगट कर रहा हूँ और आनेवाले १५वें पाटोत्सव की हम सभी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं ।
लोकडाउन के समय में भी सान्दीपनि में सत्संग की, स्वाध्याय की, साधना की और सेवा की ये चारों प्रवृतियाँ निरन्तर चलती रही है । विज्ञान और टैक्नोलोजी के माध्यम से देश-विदेश के सभी भक्त इसके साथ जुड़े रहे और न केवल जुड़े रहे उनके लिए ये बहुत संजीवनी बन गई । ये प्रवृति बहुत सारे भक्तों के साथ जब मेरी बात होती है तो सब कहते है कि सामान्य दिवसों से ज्यादा इस समय में सत्संग और कथाओं का आनंद ले रहे हैं ।
क्योंकि समय ही समय है, बहुत आनन्द लिया, बहुत लाभ लिया और मैं भी कहता हूँ कि लोकडाउन के इसी समय के चलते मुझे भी सांदीपनि में विशेष रूप से भगवान श्रीहरि के सान्निध्य में रहने का अवसर प्राप्त हुआ । उससे मुझे ही फायदा हुआ । जिससे मुझे भी स्वाध्याय और साधना के लिए अवसर मिला । सत्संग तो निरंतर कथाओं के माध्यम से हो ही रहा है । भगवान के प्रति जब सकारात्मक चिंतन होता है तब ठाकुरजी से युक्त होते है । कोरोना के चलते जो एक विपरीत और विचित्र परिस्थिति पूरे विश्व में पैदा हुई, उसमें भी हमारा तो आध्यात्मिक रूप से फायदा ही हुआ । आप जब भगवान के प्रति समर्पित होते है तो परिस्थिति चाहे जो भी बदलकर सामने आ जाए, आप हमेंशा प्रसन्नता में रहते हैं और आप उस परिस्थिति का पूरा-पूरा लाभ उठाते है । यही हम लोगोंने किया हैं ।
दवाई तो बाजार में आ गई हैं । भारतमें भी टीकाकरण प्रारंभ हो गया है । अभी कुछ महीने लगेंगे । सरकार के आरोग्य के जो दिशा-निर्देश है, उनका पालन भी करते रहना पड़ेगा । लेकिन जीवन को उसकी पटरी पे लाकर उसी गति में चलना होगा ।
ऋषि जितेन्द्र याज्ञिक और उनके साथ जुड़कर के उन सभी सेवकों और भावुकों का मैं बहुत प्यार और आशीर्वाद । भगवान श्रीहरि की कृपा सदैव बनी रहें । आप साउथ इंडिया के जिन-जिन शहरों में केंद्र नहीं खुले है वहाँ भी सांदीपनि की प्रवृत्ति से सब अवगत हो और यहाँ पोरबंदर आ के कुछ समय श्रीहरि के सान्निध्य में रहे ऐसी कामना करता हूँ ।
१५ वें पाटोत्सव में विशेषरूप से नव दिन पर्यन्त रामकथा का आनंद लेंगे । जैसे कि बताया गया कि मेरे रामके द्वारा पहली बार सांदीपनि में श्रीराम कथा होगी । आप लोग भी इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं । भगवान् श्रीहरि के सान्निध्य में हम कथा का आनंद लेंगे । जिसके साथ-साथ अन्यान्य उत्सव भी यहाँ होंगे । सीमित लोगों को अनुमती दी जाएगी । सरकार के निर्देश अनुसार यहाँ कथा में आनेकी अनुमती प्रदत्त होगी ।
बाकी के सब आप लोग संस्कार टीवी चेनल और sandipani.tv के माध्यम से कथा का लाभ लेंगे । अपने घरों में बैठ कर लाखों की संख्या में उत्सवके साथ जुड़ेंगे । सभी को बहुत प्यार और आशिष ।
पंचम सुन्दरकाण्ड पाठ में पूज्य भाईश्री द्वारा संदेश – दि. ३०/०१/२०२१, शनिवार
सांदीपनि पोरबंदर में श्रीहरि मंदिर के १५ वें पाटोत्सव के अवसर पर नव दिवसीय रामकथा हो रही है । उसके स्वागत में पीछले कुछ महीनों से प्रत्येक शनिवार हम सब मिलकर सुन्दरकाण्ड का संगीतमय पाठ कर रहे है । अब की बार सांदीपनि सभागृह में ऋषि चेतन शर्मा के स्वर में और सांदीपनि परिवार पेसिफिक के तत्त्वावधान में सब मिलकर के पाठ कर रहे हैं ।
रामकथा भगवान राम का ही वाङ्मयस्वरुप है । श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का वाङ्मय स्वरुप है । उस अर्थ में रामकथा का ही स्वागत है और रामकथा का स्वागत हम भक्त रामप्रिय रघुपति-वर दूत श्रीहनुमानजी की आराधना से करें । सुन्दरकाण्ड के पाठ के द्वारा करें तो स्वाभाविक है कि उसमें श्रीहनुमानजी की कृपा तो हमें प्राप्त होगी ही; लेकिन श्रीहनुमानजी के आराध्य श्रीरामजी की विशेष प्रसन्नता होगी ।
सुन्दरकाण्ड से ही प्रसिद्ध एक बड़ी कथा है । जब श्री हनुमानजी सीताजी की खोज करते हुए लंकामें विभिषण के घर पहुँचे, क्योंकि उस घर का वातावरण सात्विक था, भक्ति पूर्ण था । श्रीहनुमानजी ने एक ऐसा सुंदर भवन देखा है कि जहाँ “हरि मंदिर तहाँ भिन्न बनावा” “राम-नाम अंकित गृह शोभा बरनि न जाही” श्रीहनुमान महाराज के हृदय में बड़ा हर्ष हुआ । यह वैष्णव का घर है और जब राम नाम अंकित देखा, राम-राम स्मरण करते हुए गृह और विभीषण दोनों जागे । हनुमानजी को विशेष आनंद हुआ कि हम एक ही परिवार के हैं । हमारा इष्ट और हमारा आराध्य एक ही है । विभीषण से मिलते हैं । विभीषण हनुमानजी को देखकर प्रसन्नता व्यक्त करते हैं और संवाद में जब यह बताया श्री हनुमानजी ने कि मैं श्रीसीता मैया की खोज करने यहाँ आया हूँ “देखी चाहउ जानकी माता” विभीषण को भ्राता कह कर संबोधित करते हैं । क्योंकि श्री सीताराजी हमारे माता-पिता हैं, हमारे आराध्य हैं हम उनकी सेवा में लगे हुए हैं ।
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ।।
मुझे तुम सीता माता का पता बताओ और श्री सीताजी का दर्शन कराओ । ऐसा श्री हनुमाजी ने कहा क्योंकि विभीषण तुमने केवल माता का दर्शन किया है और मैंने अभी तक केवल पिता का ही दर्शन किया है । मैं माता के दर्शन से वंचित हूँ और तुम पिता के दर्शन से । और एक बात बिभीषण से हनुमान जी कहते हैं देखो मैं वानर जाति का हूँ, चंचल हूँ लेकिन भगवान श्री राम की मुझ पर भी कृपा उतरी है; तुम पर भी कृपा उतरेगी । हनुमानजी ने कहा कि तुम आधे अधूरे भक्त हो मतलब तुम श्रीराम का नाम तो लेते हो काम नहीं करते ।
हमारी भक्ति कृति-भक्ति होनी चाहिए । भक्तों की भक्ति भाव-प्रधान है लेकिन वह भाव क्रिया में भी प्रगट होना चाहिए और क्रिया में प्रकट हुए भाव का नाम है “राम सेवा” । और रावण यहाँ सीताजी को हरण करके लाया है, तुमने अभी तक अपनी ओर से सीताजी को मुक्त कराने के प्रयास किया ? अरे रावण को समझाने की भी चेष्टा की ? राम का नाम तो हम ले राम का भजन करें लेकिन श्रीराम का काम भी करें । हनुमानजी ने विभीषण तो एक भक्त तो था लेकिन सोया हुआ भक्त था फिर हनुमानजी ने उसको चलाया, राम कार्य में लगाया है और कहा विभीषण ने आपकी बात सही है अब मैं राम सेवा के लिए भी अपने आप को समर्पित करता हूँ । जब मैं राम सेवा में भी संलग्न हो जाऊंगा तब तो भगवान राम मुझ पर कृपा करेंगे ना, तो हनुमानजी विनोद स्वभाव से बोले फिर तो कभी नहीं करेंगे मतलब अभी भी आपने कहा कि राम का नाम भी लेना चाहिए राम का काम भी करना चाहिए । मैं नाम जप करूंगा, नाम स्मरण नाम भजन भी करूंगा और राम का काम करने के लिए में प्रस्तुत हो तो फिर भगवान मुझ पर कृपा क्यों नहीं करेंगे तो हनुमानजी बड़ा सुंदर निवेदन करते हैं कि विभीषण सुनो –
करहिं सदा सेवक पर प्रीति
भगवान की यह रीति है कि वह अपने कृति-भक्ति करनेवाले भक्तों पर सदा प्रेम करते हैं । तो प्रेम शब्द और ऊंचा हो जाता है । भगवान तुम से प्रेम करते हुए तुम राम के ह्रदय में बस जाओगे । भगवान तुमसे प्रेम करेगा ऐसी प्रेरणा जिस कथा के द्वारा हम सबको प्राप्त होती है ऐसा हनुमत् चरित्र; ऐसा रामचरित मानस का एक कांड सुंदरकांड । उसका पाठ निश्चित रूप से हमारे भक्ति को भी दृढ़ करनेवाला है । राम सेवा के लिए हमें प्रेरित करनेवाला है । आप सभी स्वागतं रामकथा के अंतर्गत पुनः एक बार समग्र विश्व के सभी भक्त सुंदरकांड के पाठ में सांदीपनि से जुड़े हुए हैं । मैं अपनी प्रशंसा व्यक्त करता हूँ ।
सांदीपनि के ही ऋषिकुमार चेतन शर्मा को कुछ वर्ष सांदीपनि की ओर से अमेरिका भेजा गया था । वहाँ का अपना सेवा कार्यकाल पूरा करके अभी वापस आए हैं और आने के बाद सुंदरकांड की सेवा उनके द्वारा हो रही है । मैं चेतन शर्मा को भी आशीर्वाद देता हूँ और आप सभी सांदीपनि परिवार पैसेफिक के सभी भक्त इस तरह से आप जुड़े रहते हैं, राम का नाम भी लेते हैं और राम कार्य में भी सहयोग करते हैं । आपके प्रति भी मैं अपनी प्रशंसा व्यक्त करता हूँ ।
१५वाँ पाटोत्सव हम एक नए वातावरण और नए ढंग से मनाने जा रहे हैं और भगवान श्री हरि पाट पर विराजे और उस वक्त 2006 में जो 12-13 दिवस का उत्सव हुआ था, उसमें प्रतिष्ठा के विधिवाले दिनों में संत सम्मेलन रहा और फिर आठ दिवस पर्यंत श्रीमद् भागवत कथा हुई । उसके बाद ५-५ दिन का पाटोत्सव रहा । दसवें पाटोत्सव पर हमने विष्णुयाग का आयोजन किया था । भव्य यज्ञशाला और 108 कुंडीय हवन के द्वारा भगवान हरि की आराधना हुई । पुनः १५ वर्ष का पड़ाव है तो 2006 के बाद इतना लंबा उत्सव 9 दिन का भी पहली बार हुआ है और इन 9 दिन में राम कथा के द्वारा सत्संग करेंगे ।
कोरोना के चलते सावधानी के साथ, मर्यादा के साथ अपना बचाव करते हुए हमें इस उत्सव को मनाना है । कुछ मर्यादित संख्या में भक्त सांदीपनि विद्या निकेतन में आएंगे और वे सांदीपनि सभागृह व्यास पीठ के समक्ष उपस्थित रहेंगे बाकी आप सब लोग जो नहीं आ पा रह हैं प्रवास नहीं कर पा रहे हैं तो कथा की धारा बहती हुई आप लोगों तक पहुंचेंगी और हजारों की संख्या में हम सब लोग मिलकर पाटोत्सव मनाएंगे । जैसा कि बताया गया है मेरे द्वारा भगवान श्री हरि की सेवा में प्रथम बार रामकथा हो रही है । रामकथा वैसे भी आप सब लोग जानते हैं, भागवत मेरा प्रधान विषय है अतः भागवत को लेकर के ही यात्रा विशेष रूप से चलती रहती है लेकिन कभी-कभी भगवान मौका देते हैं, अवसर प्रदान करते हैं और ऐसा ही अवसर रामकथा के लिए प्राप्त हुआ । हम सब लोग मानस गायन के द्वारा पाटोत्सव मनाएंगे फिर से एक बार सांदीपनि पेसिफिक परिवार को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामना; सभी भक्त को बहुत-बहुत प्यार और आशिष जय सियाराम हरि ओम ।
छठवें सुन्दरकाण्ड पाठ में पूज्य भाईश्री द्वारा संदेश – दि. ०६/०२/२०२१, शनिवार
सभी को जय सियाराम जय श्रीकृष्ण
भगवान श्रीहरि के दिव्य देवालय के १५वें पाटोत्सव पर सांदीपनि में दिव्य श्रीराम कथा होने जा रही है । जिसमें देश-विदेश से selected लोग है और जिनको आने की अनुमति मिली है, वे व्यासपीठ के समक्ष बैठकर कथा-श्रवण करेंगे । हमारे यहाँ के गुरूजी और ऋषिकुमार के साथ साथ virtually हजारों भक्त जुड़ेंगे ।
उसी रामकथा के स्वागतमें, उसके अंतर्गत छ शनिवार तक सुन्दरकाण्ड का पाठ होता रहा । आज ६वाँ पाठ संपन्न हुआ । अभी तक ऋषि….
इनके द्वारा पाठ संपन हुआ । जैसा कि श्यामभाई ने कहा कि यह १५वाँ पाटोत्सव है; और वो भी १५ दिन का । ६ सुन्दरकाण्ड के पाठ के छह दिन और श्रीराम कथा के ९ दिन । ऐसे कुल मिलाकर १५ दिन का ही यह उत्सव रहेगा । हम यह १५ दिवस का सत्संग भगवत् सेवामें समर्पित करते हैं । जैसा कि अभी-अभी बताया गया कि संस्कृति फाऊंडेशन u.k इस श्रीराम कथा के प्रधान आयोजक बने है और उस तत्वावधान में देश विदेश के कई लोग जुड़ेंगे ।
कभी हम कई चीजें अपने दाएं हाथ से उठाते हैं, कई बार बाएं हाथ से उठाते हैं, मुहँ का भी उपयोग करते हैं । अलग-अलग कार्यों के लिए अपने ही अंगों का हम उपयोग करते हैं । उसी प्रकार यह सब सांदीपनि के ही अंग हैं, संस्कृति फाउंडेशन यू.के., संस्कृति फाउंडेशन अमेरिका, संस्कृति फाऊंडेशन कनाडा, आफ्रीका वाला परिवार, पेसिफिक परिवार और यहाँ के विभिन्न ट्रस्ट आदि सब कोई भी कार्य करते हैं तो कोई भी एक प्रधान को उस सेवा के लिए नियुक्त करते हैं और उन को सौंप दिया जाता है । वह उत्साह पूर्वक लगते हैं। अबकी बार इसी उत्साह के साथ इसी लगन के साथ, इसी समर्पण के साथ संस्कृति फाउंडेशन यू.के. के सभी ट्रस्टी सभी भक्त और युवावर्ग अन्य सभी लोग और जो इनका समर्थन करते हैं, जो यजमान के रूप में, मनोरथी के रूप में जुड़े हैं; आप का उत्साह देख कर के, आपकी लगन देख कर के मेरी प्रसन्नता व्यक्त करता हूँ ।
जैसा कि आप लोग जानते है यह 15वाँ पाटोत्सव है । इस सत्संग के द्वारा, इसके माध्यम से सापुतारा में आदिवासी विद्यार्थियों के लिए जो-जो हमारा एक यज्ञ और कार्य चल रहा है, उसके विषय में संपूर्ण विश्व को हम जानकारी देंगे । जैसा कि हमारा सिद्धांत है कि किसी के पीछे अपील नहीं करना है, पैसे के लिए नहीं लगना है लेकिन सबको जानकारी पहुंचाना है । क्योंकि कई बार जब लोग यहाँ सांदीपनि में आते हैं, मुझसे मिलते हैं या फिर कोई बात करता है तो कहते हैं भाईश्री हमको यह पता ही नहीं था, आपने हमें बताता क्यों नहीं ? इसलिए मैंने सब से कहा कि हम जो भी कार्य-यज्ञ करते हैं उसकी जानकारी सब तक पहुँचनी चाहिए ।
जिन-जिन को फिर इसके लिए भावना है और इसमें आहुति देना चाहते हैं उनका स्वागत है । यहाँ देखा जाए तो कोई लेनेवाला और देनेवाला है नहीं ठाकुरजी की सब लीला है । जब किसीको इसके साथ जुड़ना है तो यह यज्ञ में हमारे साथ जुड़ जाता है । हम याजक बन जाते हैं । जैसे हम यज्ञ करते हैं, आपको भी बुलाते हैं, आइए आप भी इस यज्ञ में जुड़े । यह हम सब की सामूहिक आराधना है, इसमें कौन लेता है और कौन देता है ? इसमें तो भगवान श्रीहरि की पूजा है इसी भाव से ठाकुरजी का कार्य करवाते हैं । सत्संग के साथ-साथ सेवा का भी कर रहे हैं ।
अभी-अभी देवका में सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा बहुत अच्छी तरह से संपन्न हुई । वो सेवा हमारे देवकावाले भाइयों ने रखी थी और उसका लाभ संपूर्ण विश्व के लोगों ने लिया, खास करके गुजराती भाषा में । क्योंकि मैं अपने गांव में बैठा था, अपने गांववालों के समक्ष बैठा था तो थोड़ी सी गुजराती – यहाँ की बोली का उपयोग हुआ । बहुत सारी बातें पल्ले ही नहीं पड़ी होगी लेकिन उसका आनंद लिया । गाँववालों का परिवेश भी देखा और उनके साथ उत्साह-पूर्वक रहा भी । उस देवका में देवका विद्यापीठ में जो हमारा सेवा कार्य चल रहा है;वहाँ भी स्कूल, कॉलेज, साइंस कॉलेज, कॉमर्स कॉलेज, आईटीआई है और अब की बार एक महत्वपूर्ण घोषणा भी हुई थी ।
वैसे भी ग्रामीण स्तर में हम काम करते हैं और ग्राम में विस्तार में भी कन्या-शिक्षण का कार्य भी करते हैं । “वहाँ लड़कियों के शिक्षण को संपूर्ण फ्री घोषित कर दिया ।” चाहे हाईस्कूल करें, चाहे कॉलेज करें, उनके लिए संपूर्ण निःशुल्क रहेगा । हमारी बच्चियाँ पढ़े, हमारे बच्चे आगे आए । वैसे सेल्फ फाइनेंस स्कूल है, इसलिए हम थोड़ी सी फी लेते है, ताकि जो खर्चा होता है वह निकल जाएँ लेकिन यहाँ जो गुरुकुल चल रहा है, उसमें भी बच्चियों की फी 25% कम है । वहाँ ग्राम्य विस्तार है तो वहाँ बच्चियों की फी टोटली लेना बंद कर दिया है ।
सापुतारा में भी आप जानते हैं कि रहना खाना-पीना-पढ़ना आदि सब आदिवासी बच्चों के लिए फ्री है । श्रीहरि का जितने देश-विदेश के भक्त हैं सब मिलकर इस में आहुति दे रहे हैं । इस यज्ञ में साथ जुड़ने के लिए जितना हो रहा है वह रामकथा के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा जानकारी लोगों तक पहुँचाएँगे, आवाहन करेंगे और जिन-जिनके हृदय में भावना उठेगी वे जुड़ेंगे और उनका हम स्वागत करेंगे ।
जैसा कि आरंभ में संस्कृति फाऊंडेशन यू.के. के प्रेसिडेंट भूपेन्द्र भाई कणसागरा ने बताया कि यहाँ की स्थिति अच्छी नहीं है । लेकिन हम भारत में कोरोना की स्थिति को थोड़ा नियंत्रित हुआ देखते हैं । हमारी जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है, लेकिन दूसरा लॉकडाउन यू.के. में घोषित किया गया है । वैक्सीनेशन का काम भी जोरों से चल रहा है, लेकिन कई स्वजनों ने अपनी जिंदगी को खोया है और इसलिए इन दिनों में वहाँ प्रार्थनाएँ भी हो रही है क्योंकि एक दूसरे के पास जा रहे सकते नहीं । zoom के माध्यम से तो प्रार्थनाएँ अटेंड करते हैं ।
यह जो सुंदरकांड के पाठ हुआ है वह विभिन्न लोगों के द्वारा स्पॉन्सर्ड किया गया । आज भी जो पाठ हुआ है सांदीपनि विद्यानिकेतन और संस्कृति फाउंडेशन यू.के. के द्वारा । हम प्रार्थना करते हैं इस दु:ख से उभरने की, जिन-जिन परिवारों ने अपने स्वजनों को खोया है उन सभी दिव्य आत्मा की शांति के लिए । श्रीराम कथा सत्संग इसलिए है कि हम विपरीत परिस्थिति में भी अपने मन की मजबूती को बनाए रखें । अपने मन के विश्वास को बनाए रखें । भगवान के चरणों में हमारी दृढ़ आस्था बनी रहे और हम प्रतिकूल परिस्थिति में भी मजबूती से टिके रहे । निश्चित रूप से रामकथा उसमें हमारा मार्गदर्शन करेगी अच्छी तरह से । छ्ह पाठ संपन्न हुए, हनुमान चालीसा का पाठ अभी होता रहेगा । यह वाला शनिवार और आनेवाले शनिवार से तो राम कथा का गायन शुरू हो जाएगा । बीच में आप सब जुड़े रहेंगे, जागृत रहेंगे इसलिए वर्कशॉप इत्यादि का आयोजन कर रहे हैं । यह भी जरूरी है हमारे सारे बच्चें, हमारे युवा सब यह सब सीखे पार्थिव लिंग कैसे बनाया जाता है ? पूजा कैसे करी जाती है ? ठाकुरजी का सिंगार कैसे किया जाता है ? यह सब सीखे ।
रामकथा के लिए हम भी प्रतीक्षा कर रहे हैं । श्री हनुमानजी के चरणों में प्रणाम करते हैं और प्रतीक्षा में अपने आसन बिछाए बैठे हैं । जो लोग यहाँ आनेवाले हैं जिनको अनुमति मिली है, वे अच्छी तरह से सुरक्षित रूप से और उनका प्रवास विघ्नरहित हो और वे अच्छी तरह से यहाँ पर पहूँचे ।सभी निरामय रहे ऐसी प्रभु से प्रार्थना फिर से एक बार सुंदरकांड के पाठ के लिए आप सभी को बहुत-बहुत साधुवाद । शायद किसी कथा का इस प्रकार पहली बार स्वागत हो रहा है । इसके पहले शायद हुआ हो, जहाँ इतने सातत्य’के साथ सुंदरकांड का पाठ होता रहा और हर सुंदरकांड के साथ हम रामकथा का आवाहन करते रहे और स्वागत करते है । यह विचार, यह भाव बहुत-बहुत सराहनीय है और भगवान् को प्रसन्न करनेवाला है । आइए जैसे-जैसे समय समीप आ रहा है और लगन के साथ इसमें लगना है और विशेष समय देना पड़ता है । जब महोत्सव चल रहा होगा तो तब ज्यादा घंटों के लिए हम जुड़े रहेंगे इसका एक अद्भुत आनंद है परमात्मा सबका मंगल करें ।
Report by Rishi Shri Utsavbhai Khambolja, Proofing by Rishi Shri Pareshbhai Joshi
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