Why should Gayatri Mantra be chanted in the mind only? गायत्री मन्त्रको मन में ही क्यों जपना चाहिए ?

It is said that Gayatri Mantra should be chanted in the mind only. Even though there are three ways of doing Japa, then why such presumption about it? Please explain.

Aharahaḥ sandhyāmupāsita, meaning, a Brahmin must perform Sandhyā (prayers at dawn and dusk) every day. During sandhyā, worship of the Sun-god as well as Gāyatri japa (chanting of Gāyatri mantra) is very important.

Vedas contain mantra whilst Purāṇas contain śloka. Gayatri mantra is present in all the four Vedas.

The meaning of the word Mantra itself is ‘mananāt trāyate iti’, meaning, that which protects you when you regularly contemplate on it, is called Mantra.
Where one talks of mantra, confidentiality comes with it which is why there should be concealment. That increases its power.

Amongst the types of japa, there are:

  1. Vācik japa (audible),
  2. Upānśu japa (lips move but very little sound is produced such that it is audible to oneself only),
  3. Mānasik Japa (mentally) and above all three,
  4. Mānasik japa with focus and meditation on the meaning, which is considered as the best among all.

Mentally chanting the mantra, rhythmically, continually, whilst meditating upon the deity of the mantra and thus, chanting with connection to the meaning of the mantra is considered best.

Even if a Sadguru may have given the same mantra to all the disciples, confidentiality is necessary. Almost everybody knows the Gayatri Mantra. Even children know it. However, we still try to keep it confidential. This also means keep bhajan (worship and such virtuous deeds) as confidential as possible. Love is also something not to be bragged about. Just as we try to keep privacy there, bhajan should also be concealed.

When we do japa on a mālā (rosary of beads) we usually cover it with some cloth or in a bag made for the mālā. Important things are always kept confidential. You keep all your expensive things in a closet safely and carefully. You make sure everybody cannot see it. You also consider yourself wealthy that you have jewellery of worth lacs of rupees. Just like you keep all that confidential, similarly, this mantra is also very precious and by keeping it confidential its power increases.

Just like there is a difference between secrecy and privacy. In the relationship between Meera and Lord Krishna, there is no secrecy. Meera herself reveals her relationship with Him. However, there is a lot of privacy in this relationship.

Thus, confidentiality of a mantra increases its power and this holds great importance.

गायत्री मन्त्रके विषयमें यह कहा जाता है कि इस मंत्र को मन में ही जपना चाहिए यद्यपि जाप के तीन प्रकार हैं फिर भी ऐसी धारणा क्यों है ? कृपया समाधान करें। 

द्विज है लिए अहरहः संध्यामुपासित, प्रतिदिन संध्या का आश्रय करना चाहिए, और उसमें सविता की उपासना और गायत्री का जप ये बड़ा महत्त्वपूर्ण है।  वेदों में जो है वो मंत्र है और पुराणों में जो है वो श्लोक है।  गायत्री मन्त्र चारों वेदों में है।

मन्त्र शब्द का अर्थ ही यह होता है कि ‘मननात् त्रायते इति ‘जिसका मनन करने से वो तुम्हारी रक्षा करे’, उसको कहते हैं मन्त्र। जहाँ पर भी मन्त्र की बात आती है वहाँ गोपनीयता की बात आती है इसलिए संगोपन करना चाहिए।  उससे उसकी शक्ति बढ़ती है। 

जप के प्रकार है:

  • वाचिक जप,
  • उपांशु जप,
  • मानसिक जप, और उन तीनों से भी श्रेष्ठ
  • मानसिक लेकिन मंत्र के अर्थ का अनुसंधान करते हुए जपना वो सबसे श्रेष्ठ माना गया है। नाम जपमें मंत्र के देव का तन्मयता से ध्यान हो; नाम लेते समय लय बद्ध जप हो; और नाम का सातत्य रहे। इन तीन बातों का ध्यान रखते रखते नाम और नामी में दूरी समाप्त होती चलेगी।

अब सद्गुरु ने एक ही मन्त्र अपने अनुगत सैंकड़ों शिष्यों को दिए हों लेकिन फिर भी एक गोपनीयता आवश्यक है। अब गायत्री मन्त्र सबको पता है।  छोटे छोटे बच्चों को पता है।  लेकिन फिर भी संगोपन करने का बडा महत्त्व है | इसका एक अर्थ ये भी है कि भजन को जितना हो सके छुपाओ । प्यार का भी बहुत ज्यादा ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए।  तो उसमें जैसे संगोपन करते हैं हम, वैसे ही यहाँ भजन का भी संगोपन हो।

हम माला जपते हैं तो किसी न किसी वस्त्र से आच्छादित करके या गौमुखी में रखकर जप करते हैं।  जो महत्त्वपूर्ण चीज होती है उसे थोड़ा छुपा कर रखा जाता है।  बहुत कीमती चीजों को आप अपने घर में तिजोरी में छुपाकर और संभालकर रखते हैं।  सबकी दृष्टि उसपर न जाय ये आप ध्यान रखते हैं और उन चीजों से आप अपने आपको धनवान भी मानते हैं कि हमारे पास इतने लाख रुपये का जेवर है।  उन चीजों का आप संगोपन करते हैं तो ये मंत्र भी बहुत बड़ा धन है और संगोपन करने से उसकी शक्ति बढ़ती है।

इसलिए सबको मंत्र पता है फिर भी संगोपन महत्त्वपूर्ण है।

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